Saturday, July 16, 2011

नेपालन घरेलू कामवाली



हमारा एक छोटा सा घर है, लेकिन मैं तो बड़े ठाट-बाट से रहता हूं. एक बार मैं और मेरा परिवार सब साथ में बैठे थे। हमारा एक नौकर था जिसका नाम पेमजी था। पापा ने कहा कि घर का काम करने के लिए एक औरत की जरुरत है, तो पेमजी ने कहा कि मेरे गांव में एक नेपाली है, उसका पति उसको छोड़ के भाग गया है, तो पापा ने कहा उसको यहाँ ले आ।

अगले दिन वह उसको लेने चला गया। शाम तक वह उसको ले के आ गया। हम सब वहीं बैठे थे। वो कसम से इतनी सुंदर थी आप तो जानते ही हो कि नेपाली कितने सुंदर होते हैं। तो पापा ने उससे थोड़ी पूछ ताछ की, फ़िर उस दिन से वह हमारे यहाँ काम करने लगी. मेरा तो मन उस पर आ ही गया था, अब तो मैं बस समय का इंतजार कर रहा था।

उसका नाम रेनू था. उसकी उम्र ३२ के आसपास होगी लेकिन अगर आप उसके ब्रेस्ट देखो तो आपका भी खड़ा हो जाए। वह उनको अपने ब्लाउज में छुपा भी नहीं पाती थी। उसको अपनी साड़ी का पल्लू उस पर ढकना पड़ता था. एक बार रात को सब सो गए, फ़िर मैंने सोचा कि शुरुआत तो करनी ही पड़ेगी।





मैं धीरे से खांसा तो उसकी नींद नही खुली. मैंने सोचा कि अब क्या करू? मैं थोड़ा तेज खांसा. फ़िर उसकी नींद खुल गई, उसको हम हमारे कमरे में ही सुलाते थे। मैं, मेरी दादी और रेनू हम तीन एक कमरे में सोते थे और पापा मम्मी अलग कमरे में सोते थे। मैंने एक बार और खांसा तो वो उठी और मेरे लिए पानी लेकर आई।
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प्रेमिका की कुंवारी बुर


मैं एक स्मार्ट, सेक्सी और सुन्दर लड़का हूं। वैसे तो मैंने बीस बाईस लड़कियों के साथ सेक्स किया है पर यह मेरी प्रेमिका के साथ पहली चुदाई थी।

१९९९ की बात है। मैं अपनी मौसीजी को देखने पी.जी.आई. लखनऊ गया था। वहां पर मुझे मेरी प्रेमिका से मुलाकात हुई।
उसकी शादी लखनऊ में मेरी मौसी के खानदान में हुई थी। मैं और मेरे मामा सुबह ही पी.जी.आई. पहुंच गए थे। मैंने जब नीतू को देखा तो मैं बहुत खुश हुआ। वो रात भर मौसी की देखभाल करने के लिए जागी थी।

थोड़ी देर बाद मौसी ने मुझसे कहा कि सैम तुम नीतू को कमरे में ले जाओ, वो रात भर की जागी हुई है, उसे फ़्रेश होना है, नहाना धोना है। मौसी का घर पी.जी.आई. से बीस किलोमीटर दूर है, इसलिए मौसाजी ने हस्पताल के कैम्पस में कमरा ले रखा था। मैं नीतू को लेकर कमरे में चला गया। रास्ते भर वो मुझसे मेरा हालचाल पूछती रही और कहती रही कि उसे मेरी बहुत याद आती है। मैंने कहा- तुमने तो शादी कर ली, मैंने भी शादी कर ली लेकिन मैं अकसर तुम्हारी याद में खोया रहता हूं। थोड़ी देर बाद हम कमरे में आ गए।
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पवन की बीवी


पवन मेरा सबसे अच्छा दोस्त है। वो मुझसे एक साल बड़ा है और बचपन से हम साथ ही रहते हैं।

जब मैं बी ए के तीसरे साल में था तो उसकी शादी हो गई। उसकी बीवी का नाम पूजा है और वो बहुत सुन्दर है। हम तीनों घण्टों बैठ कर बातें किया करते थे।

पवन एक कम्पनी में काम करता था इसलिए वो ज्यादा समय घर से बाहर ही रहता था। मैं उसके घर जाया करता था।

एक दिन मैं पवन के घर गया तो मैंने पूजा से पूछा कि पवन कहाँ है, तो उसने बताया कि वो तो दो महीनों के लिए जयपुर गए हैं।

पूजा ने पूछा- आप कुछ लेंगे चाय या कोफ़ी ?

मैंने कहा- चाय चलेगी।





पूजा रसोई में चाय बनाने चली गई।

मैं भी पूजा को चाहता था पर पवन से डरता था। मैं अचानक रसोई में गया। पूजा ने गाऊन पहना था पर कमर की चैन उसने नहीं लगाई थी। मैं उसकी गोरी पीठ देख रहा था तो अपने आप पर काबू नहीं रख सका और पूजा को पीछे से कस कर पकड़ लिया।

पूजा बोली-यह क्या कर रहें हैं आप?
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मेरी ऑफिस मेट


मैं आपके शहर आ रही हूँ, अपन सेक्स करेंगे फ़िर मैं वापस अपने शहर चली जाउंगी. हम आपस में कोई लगाव नही रखेंगे. सिर्फ़ सेक्स ही अपना सम्बन्ध होगा.

इन मेल्स को पढ़ कर दुःख हुआ. लेंकिन मुझे इस बीच मुझे दो अच्छी सहेलियां मिल गई जो दोनों भी आपस में अच्छी सहेलियां हैं.

प्यार यदि हो तो सेक्स उसको बहुत ऊंचाई पर ले जाता है न कि सेक्स के कारण प्यार कम होता है. जिस का प्यार सेक्स करने से कम हो उसको वास्तव में प्यार होता ही नही है. वो सिर्फ़ सेक्स का ही भूखा है.

अब मैं एक और कहानी आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ. कृपया अपने विचार लिखते रहें. मैं किस तरह का आदमी हूँ ये मेरी कहानी " डॉक्टर मेरी गुरुआनी" पढने के बाद जान चुके होंगे.

डॉक्टर से मिलना कम हो गया था, डॉक्टर साब का ट्रान्सफर अलका के साथ ही हो गया, डॉक्टर साहब और अलका साथ रहने लगे थे और अब खुश भी थे. हम भी खुश हैं, हमारी दोस्ती बिगड़ी नही लेकिन अब मेरी भी शादी हो चुकी थी और हमारी दोस्ती में सेक्स का वो मतलब भी वैसे ही पूरा हो रहा था. फ़िर भी हम खुश हैं क्यूंकि हम बेवफा नही हैं.

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